Monday, February 05, 2007

एक सरकारी तीर्थ यात्रा

एक सरकारी तीर्थ यात्रा
पिछले दो तीन दिनों से विपन्न बुद्धि के द्वारा एकत्रित की जा रही विचित्र-विचित्र सामग्री और उसके असंतुलित व्यवहार से घर के सदस्यों को उसके मानसिक रूप से विक्षिप्त होने की आशंका सताने लगी थी। उसकी पत्नी घबराई हुई किसी अच्छे से मनोचिकित्सक का पता पूछने के उद्देश्य से हमारे पास आई और बोली- "भाई साहब आप ही कुछ कीजिये ! मुझे तो उनकी हालत कुछ गड़बड़ सी दिख रही है। अपने कमरे को आलतू फालतू सामान से भरे जा रहे हैं। पूछने पर काटने को दौड़ते हैं। अन्दर ही अन्दर कुछ डरे हुए मालूम पड़ते हैं। रात में सपने में सम्पर्क सम्पर्क बड़बड़ाते हैं।" मुझे भी लगा कि सारे ग्रहों के एक लाइन में आ जाने के कारण गर्मी भी कुछ ज्यादा ही पड़ रही है। हो न हो विपन्न बुद्धि सरक गया लगता है। मैं तुरन्त उसे देखने उसके घर गया। वहाँ सचमुच में उसकी पत्नी के बताये के अनुसार विपन्न बुद्धि अजीबो गरीब साजो सामान को व्यवस्थित करने में लगा था। एक कुएँ से पानी खींचने वाली रस्सी, एक बड़ा सा घड़ेनुमा लोटा, बारह तान का छाता, किसान टार्च, दोनों ओर सामान रखकर कंधे पर लटकाई जाने वाली खंदली, जिसमें अधिक समय तक खराब न होने वाली खाद्य सामग्री सतुआ, मुरमुरा, फल्ली दाने आदि भर रखी थी।रस्सी से बँधा हुआ ढोलक नुमा बिस्तर आदि देखकर मुझे समझने में देर नहीं लगी कि विपन्न बुद्धि निश्चित रूप से नर्मदा की परिक्रमा करने जा रहा है। परन्तु इतनी भयंकर गर्मी में परिक्रमा का विचार मेरी समझ से बाहर था।मैंने पूछा- "विपन्न बुद्धि! परिक्रमा करने का सबसे उचित समय दशहरा होता है। तुमने यह जानलेवा मौसम क्यों चुना? ""मैं परिक्रमा पर नहीं, एक यात्रा में जा रहा हूँ" विपन्न बुद्धि अपनी पीठ पर बिस्तर बाँधते हुये बोला।"कौन सी यात्रा......? बद्रीनाथ की यात्रा का भी यह समय नहीं है। चारों धाम यात्रा रेलगाड़ी भी कभी की जा चुकी है। रथयात्रा पंचकोसी यात्रा आदि सभी यात्राएँ ठंडे मौसम में ही सम्पनन होती हैं। फिर तुम्हें इस विपरीत मौसम में कौन सी यात्रा का शौक चर्राया है?" हमने कुछ खीझते हुये पूछा।"मैं अपनी मर्जी से थोड़े ही जा रहा हूँ" उसने अपनी विवशता प्रकट करते हुए कहा। अनिच्छा से की जाने वाली यात्रा तो बस एक ही है, 'शवयात्रा` उसी में सभी लोग अनिच्छा पूर्वक जाते हैं।.......परतु उसके लिये इतनी तैयारी की क्या आवश्यकता है? मैंने प्रश्नवाचक दृष्टि से उसे देखा। विपन्न बुद्धि लम्बी साँस खींचते हुए बोला- नहीं.....मित्र! शवयात्रा तो दो-नीन घण्टे में पूरी हो जाती है। 'ग्राम संपर्क अभियान यात्रा` पर ! ग्राम संपर्क यात्रा? यह कौन सी तीर्थ यात्रा है? इसकी विधि क्या है? कब की जाती है? कैसे की जाती है? और इसका फल क्या है? ......कृपा करके इसके महत्व पर भी प्रकाश डालिये। हमने उत्सुकता पूर्वक जिज्ञासा प्रकट की।विपन्न बुद्धि ने अपनी यात्रा में काम आने वाले प्रपत्रों को पलटते हुए इस यात्रा के प्रयोजन, विधि? समय और फलाफल पर विस्तार पूर्वक बताया- 'ग्राम संपर्क अभियान यात्रा` एक सरकारी यात्रा है इसमें पूरी की पूरी सरकार ग्रामों से संपर्क करने के लिये टूट पड़ती है। सरकार के तीन प्रकार के यात्री दल होते हैं। पहला दल उन कर्मचारियों का होता है जो भीषण गर्मी की तेज लपटों के साथ साथ पिछली यात्रा की समस्याओं के हल न होने से उत्पन्न ग्राम वासियों के क्रोध की ज्वाला को सहन करते हुए पैदल सेना की तरह आगे आगे चलता है। कुछ सरकार से और कुछ जनता से भयभीत यह दल थका हारा जब गाँव में प्रवेश करता है तब गाँव के कुत्ते उन्हें भौंक भौंक कर डरा देते हैं। यह दल गाँव में घर घर जाकर लोगों से समस्या पूछता है और खरी खोटी सुनता है। पिछली बार की तरह सभी समस्यायें हल करने का आश्वासन भी देता है। जहाँ कही पुराने अनुभवी सरपंच होते हैं वहाँ इस दल को भोजन भी प्राप्त होता है, अन्यथा अपने साथ रखा सतुआ खाकर किसी पेड़ के नीचे विश्राम करता है।दूसरा दल उन बड़े अधिकारियों का होता हे जो प्रात: चाय नाश्ता करके शासकीय वाहन द्वारा छापामार शैली में किसी भी ग्राम से अचानक संपर्क करता है। चौपाल पर नागरिकों को एवं यात्री दल को एक साथ बैठाकर यह दल कुछ रटे रटाये प्रश्न पूछता है और उर सुनकर कर्मचारियों को डाँटता है।एक दो कर्मचारियों को सस्पेण्ड करता हे, और अगले ग्राम की ओर प्रस्थान करता है। निलम्बित कर्मचारियों की संख्या ही इस दल की यात्रा का प्रमाण होती है। तीसरा और अन्तिम दल मुख्य सरकार का होता है। जो हेलीकॉप्टर द्वारा अचानक किसी भाग्यशाली ग्राम का ऊपर से संपर्क करता हे। यह दल हेलीकॉप्टर से उतर कर कहीं क्रिकेट खेलने लगता है और कहीं कबड्डी। यह दल कब, कहाँ और कैसे टपक पड़ेगा कहा नहीं जा सकता। इसलिए प्रदेश के समस्त ग्राम इस दल की प्रतीक्षा में आकाश की ओर तोकते रहते हैं। जब कहीं हेलीकॉप्टर की आवाज सुनाई देती हे तब उस ग्राम के ग्रामवासी प्रसन्न और पैदल यात्री संशकित हो जाते हैं। किन्तु यदि हेलीकॉप्टर बिना उतरे आगे बढ़ जाता है तब पैदल यात्री प्रसन्न और ग्रामवासी उसी प्रकार दु:खी होते हैं जैसे कोई प्रेमी अपने सामने से प्रेमिका की डोली जाते हुए देखकर दु:खी होता है।यह दल जहाँ उतरता हे वहाँ किसी को फुटबॉल, किसी को हॉकी, किसी को चश्मा आदि देकर सारे ग्राम को समस्या हीन कर देता है।ग्राम के लोग सरकार के साथ फोटो खिंचवाकर धन्य हो जाते हैं। इस प्रकार से तीनों सरकारी दल ग्राम संपर्क यात्रा पूर्ण कर साल भर के लिये समस्या मुक्त हो जाते हैं। इस यात्रा पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं, जिसेस अर्थ संकट से जूझती सरकार की ग्रामों के प्रति उदारता प्रकट होती है।इस यात्रा से सरकार ग्रामों की, और ग्रामवासी सरकार की असलियत जान ल्रते हैं। कर्मचारियों का स्वास्थ्य परीक्षण भी हो जाता है। समाचार पत्रों में हल्ला हो जाने से लगने लगता है कि कुछ हो रहा है। आशावादी लोगों को तसल्ली हो जाती है। आजकल कुछ ग्राम इस यात्रा का बहिष्कार भी करने लगे हैं। वे इन्हें समस्याएँ बताना ही नहीं चाहते, फिर भी ये दल जबरन समस्या पूछते हैं जिससे कोई बड़ी समस्या खड़ी होने का डर है।इस प्रकार विपन्न बुद्धि तैयार होकर हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए 'ग्राम संपर्क अभियान यात्रा` पर निकल पड़ा।००००००००००००००००

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