Saturday, October 02, 2010

गाँधीवादी नेता से साक्षात्कार

गाँधीवादी नेता से साक्षात्कार

एक तथाकथित गांधिवादी नेता से हमने पूछा....
गाँधी ने रामराज्य का सपना देखा था..
क्या किया आपने उसके लिये?
वे बोले ...क्या नहीं किया ?
जी जान लगा दी
सपना को सपना रखने के लिये
तुम होते तो
कभी का साकार कर देते
गाँधी के मस्तिष्क की प्रतिमा
धरती पर धर देते
लेकिन हम गाँधीवादी है
सच सच कहेंगे
गाँधी का सपना
सपना ही रहेगा
जब तक हम रहेंगे

हमने कहा...
गाँधी का मूलमन्त्र स्वदेशी है
पर आपके पास तो
बाल..बच्चों को छोड़कर
सब कुछ विदेशी है
और उनका भी क्या भरोसा?
कब बदल जायेंगे?
क्यों कि भाषा,वेशभूषा और आचरण से
पूरे के पूरे विदेशी नजर आयेंगे
और शेष जो है उसे
अपना कैसे सिद्ध कर पायेंगे?
सुनकर नेता जी के खड़े हो गये कान
बोले ..अये ! श्रीमान !
हम विदेशी पूँजी के लिये
पूरे गेट खोल रहे हैं
ऐसे समय में
आप क्या उटपटांग बोल रहे है?
गाँधी के समय सरकार विदेशी थी
तब नारा था स्वदेशी अपनाइये
अब सरकार स्वदेशी है
तो नारा है विदेशी अपनाइये
हम थोड़े ही दिनों में
स्वदेशी और विदेशी का
चक्कर ही खत्म कर देंगे
आपके हर गाँव में
एक विदेशी कम्पनी धर देंगे
हमने कहा....
गांधी का प्रमुख सिद्धान्त था
मन,वाणी और कर्म में एकता
पर क्षमा कीजिये
में आपमें कुछ भी नहीं देखता
वे बोले,,, यदि नहीं दिखता
तो इसका मुझे अफशोश है
पर निश्चित मानिये
यह आपका दृष्टिदोष है
क्योंकि सिद्धान्तों के मामले में
हमें पूरा पूरा होश है
हमने इस सिद्धान्त को
थोड़ा संशोधन के साथ अपनाया है
मन,वाणी और कर्म में
कुछ इस तरह सामंजस्य बनाया है
हम जो सोचते हैं बोलते नहीं
जो बोलते हैं उसे करते नहीं
और जो करते है उसके बारे में सोचते नहीं
है न सिद्धान्त का पालन सही सही?

हमने कहा,,,
कुछ लोग गाँधी को गालियां दे रहे हैं
इसके बारे में आपका क्या विचार है?
बे बोले गालियाँ देना
कुछ लोगों का जन्मसिद्ध अधिकार है
यही गालियाँ यदि बे हमें देते
तो हम एक मिनिट में मुँह तोड़ देते
पर गाँधी राष्ट्रपिता हैं
इसलिये सुने के अलावा
कोई चारा नहीं है
क्योंकि अपने बाप को गाली देने के मामले में
दंड साहिता में कोई धारा नहीं है