Tuesday, May 10, 2011


जय परशुराम


चारों युग में तेरे अवदानों


से कृतज्ञ यह धरा धाम।


जय परशुराम! जय परशुराम!



रेणुका पुत्र ने सतयुग में


जमदग्नि पिता से शास्त्र लिए।


तप करके घोर विष्णु शिव से


धनु चक्र परशु दिव्यास्त्र लिए ।।


हे ब्रह्मतेजमय शक्ति पुंज


है बारम्बार तुम्हें प्रणाम ,,,,,,


जय परशुराम! जय परशुराम!



अभिमानी सहसबाहु ने जब


जनता पर अत्याचार किया।


अबला ॠषि गो रक्षा करने


तुमने उठकर प्रतिकार किया।।


हे प्रथम क्रान्ति के जन नायक


स्वर गूंज उठा जय परशुराम,,,,,


जय परशुराम! जय परशुराम!



त्रेता में रावण खरदूषण ने


ॠषियों का संहार किया।


तब संस्कृति की रक्षा करने


नारायण ने अवतार लिया।।


जब तुमने सारंग धनुष दिया


तब रावण वध कर सके राम,,,,


जय परशुराम! जय परशुराम!



द्वापर में धर्म बचाने को


बलराम कृष्ण अवतरित हुए।


शिशुपाल कंस दुर्योधन से


सज्जन मानव सब त्रस्त हुए।।


तुम दिये कृष्ण को चक्रसुदर्शन


हल मूसल बलभद्र राम,,,,,


जय परशुराम! जय परशुराम!



कलियुग में भ्रष्टाचार बढ़ा


धन लालच मार बुखार चढ़ा।


सब नैतिकतायें लुप्त हुईं


दीनों पर अत्याचार बढ़ा।।


दो रामदेव को शक्ति प्रभो!


हो दुष्टों का जीना हराम,,,,


जय परशुराम! जय परशुराम!